प्रणाम,
आज का प्रसंग,
नियत का मतलब संकल्प, इच्छा, मंशा आदि। नियत अच्छी बुरी हो सकती है उसीके अनुसार नियति भी अच्छी बुरी होती है।
नियत को साफ रखने का कोई नियत समय नही होता। हर समय नियत सही रखनी चाहिए। अकेले में भी और झमेले में भी।
नियत गिरने में देर नहीं लगती। नियत दृढ़ हो तो सुदृढ़ बनाती है। स्वयं की व लोगों की दृष्टि में ऊंचा उठाती है। ईश्वर का मार्ग प्रशस्त करती है।
नियत सही रखने के लिए नियम बनाने होते हैं, अपने सिद्धांत बनाने होते हैं।नियम द्वारा स्थिर होना होता है।अपने विचारों में संयत, बद्ध, पाबंद, स्थिर, स्थापित , प्रतिष्ठित होना होता है।
नियत को सत्य की डोर से बांध ले, नियति सत्य में आपको स्थापित कर देगी। सत्यम शिवम सुंदरम आपको ही बना देगी। ध्यान रहे सृष्टा आपके द्वारा सृष्ट हो रहा है।
नियम ना हों तो नियत का क्या डोल जाए तो डोल जाए, चाहे फिर वो कण पर हो या मन पर।फिर नियति भी डोल जाए तो डोल जाए तन, मन पर या धन पर।
कण पर नियत गिरी तो नियति मनों लेकर भरपाई करा लेती है। सतर्क रहे।
अपनी नियत को सत्य पर साधे, साधने के लिए साधना करनी पड़ती है, तपना पड़ता है, तन, मन, धन से। फिर सत्यमेव जयते घटित होता है।
सत्यमेव जयते!!!
श्रमेव जयते!!!
प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
Look beyond imperfections
Be 'PRASANG' Be Joyous
रेणु वशिष्ठ
मेरी काया मेरी वेधशाला से
शनिवार 31.8.2024
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