प्रणाम,
जीवन में हम क्या करते हैं से अधिक महत्वपूर्ण है हम करते क्यों हैं?
इस प्रसंग में आज तक के निरीक्षण परीक्षण का परिणाम है, आत्मपरिष्कार और लोकमंगल के लिए। अपने व्यक्तिव को उत्कृष्ट करने के साथ साथ अपने परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व को श्रेष्ठ व समुन्नत बनाने के लिए, यही लोकमंगल है।
स्वधर्म निभाते हुए परम धर्म निभाना ही धर्म अर्थ काम मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
मेरा सत्य यही है।
और आपका?
श्रमेव जयते
सत्यमेव जयते
प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
रेणु वशिष्ठ
मेरी काया मेरी वेधशाला से।
19.10.24
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