वेद विज्ञान, भारतीय संस्कृति सदैव शुभ देखने, शुभ बोलने, शुभ सुनने को ही प्रोत्साहित करती है।
छोड़ो कल की बातें, नवयुग है, नव चेतना है, नव कृति है, सृजन है नया, नव वर्ष पर शुभकामनाएं स्वीकार करें
शुभ देखें, शुभ बोले, शुभ सुने
सत्य से प्रेम, प्रेम से कर्म करें।
सत्य और प्रेम दोनों ही शुभता से सरोबार होते हैं।
शुभता प्राप्त करने के लिए
प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
Look beyond imperfections
Be 'PRASANG' Be Joyous
रेणु वशिष्ठ
An Awakener!!!!
No comments:
Post a Comment