अंतर्मन में शांति प्रगाढ़ हो तो दुखमय परिस्थितिया , बाहरी जीवन के सारे आघात मिलकर भी अंतास में दुख को अंकुरित नहीं कर पाते।
सत्य यह है कि अंतरात्मा शांति चाहती है, परन्तु जो हम करते है उससे अशांति ही बढ़ती है। महत्वाकांक्षा अशांति की जड़ है।यह शांति कोई बाहरिय वस्तु नहीं है, यह तो स्वयं का ही एक ऐसा निर्माण है कि हर परिस्थिती में अंत: करण में शती की मधुर सरगम प्रवाहित होती रहे। यह विचार नहीं अनुभव की अवस्था है। अंतर्मन के सकारात्मक संगीत की मधुरता है।
सत्य यह है कि अंतरात्मा शांति चाहती है, परन्तु जो हम करते है उससे अशांति ही बढ़ती है। महत्वाकांक्षा अशांति की जड़ है।यह शांति कोई बाहरिय वस्तु नहीं है, यह तो स्वयं का ही एक ऐसा निर्माण है कि हर परिस्थिती में अंत: करण में शती की मधुर सरगम प्रवाहित होती रहे। यह विचार नहीं अनुभव की अवस्था है। अंतर्मन के सकारात्मक संगीत की मधुरता है।
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