Thursday, April 9, 2020

जब हम अपने केंद्र को शुद्ध करने में सक्षम होते है तो हमारा तंत्र उच्च आवृत्तियों को प्राप्त कर पाता है।
हम सृजनात्मकता ही जाते है।आप उमंग से भर जाते ही।आप आनंद मार्ग पर चलने लगते ही। हम बहुत सारी आवाज़ों को सुनते है।
मधुमक्खी की आवक सुनकर कर्नाटक संगीत महारथी त्याग रहने एक नया राग इज़ाद कर लिया।
सांप और सरस की लड़ाई देखकर मार्शल आर्ट की उत्पत्ति हो है।
सब को पेड़ से गिरते देखकर गुरुत्वाकर्षण की खोज हो गई। बहुत समय से ऐसा होते हुए लोग देख रहे होंगे परन्तु उसको अन्य। रूप में नहीं देख पाए।
जब हम अशुद्धियों से भरे होते है तो हमारे देखने समझने का नजरिया बहुत असमंजसतापूर्ण होता है। उसमे स्पष्टता नहीं होती है

जैसे जब पानी में अस्थिरता होती हैतो दृश्य स्पष्ट नहीं होता है।जैसे ही पानी में स्थिरता आती है तो दृश्य साफ हो जाता है।ठीक उसी प्रकार जब अंतर में अस्थिरता होती है तो सोचने समझने कि क्षमता कम हो जाती है। उथल पुथल मशी रहती है।
विचारों की अस्पष्टता घेरे रहती है।इस अवस्था में सृजनात्मक विचारों के बारे में सोच भी नहीं सकते।अशांति और असफलता का साम्राज्य छाने लगत है।

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