आना और जाना
आना और जाना जीवन की प्रक्रिया है। हर क्षण कितने ही विचार पैदा होते हैं और चले जाते हैं। विचारों का आना जाना जीवन प्रक्रिया का हिस्सा है।क्या समुद्र में कोई लहर कभी रुकती है? लहरों का आना जाना , उठना गिरना प्रक्रिया है। विचार भी आते जाते हैं। उठते गिरते है। प्रतिक्रिया और अनुक्रिया आती जाती रहती है।
कुछ भी चीज ठहरी हुई नहीं है। हमे लगता है हम रुके हुए है परन्तु ऐसा नहीं है हर शन परिवर्तनशील है। हर शन उतार चढ़ाव वाला है।
हम किसी एक चीज को पकड़कर बैठने की कोशिश क्यों करते है?
हम किसी भी चीज के प्रति गंभीर क्यों ही जाते है?
शायद बहुत नकारात्मकता होती है इसलिए हम बहुत गंभीर हो जाते हैं।
यदि कुछ ऐसा होता भी है जो हमारे जीवन में समृद्धि लाए (शुरुआत होती है तो हम उस समृद्धि की (अवसर को पकड़ना) शुरुआत को पकड़ने के बजाय बहुत सारे प्रश्न उसके आगे लगा देते है जिनका उत्तर ना में होता है। और उस अवसर को हाथ से जाने देते हैं। क्योंकि हम कोई भी चीज पूर्णता के साथ चाहते है। हमे चाहिए तो पूरा फायदा चाहिए नहीं तो जो चल रहा है ठीक है।
यदि देखा जाए तो बूंद बूंद से घड़ा भरता है। ईंट ईंट से मकान बनता है। एक एक सीढ़ी चढ़ कर है मंजिल पर पहुंचा जा सकता है। बूंद बूंद जुड़कर ही बादल बनता है, सागर भिवतो बूंद बूंद से बनता है।
एक साथ पूर्ण लाभ की चाहत में हम हीरे को छोड़ पत्थर पसंद करके बैठे रहते हैं। फिर किस्मत या भगवान् को कोसते है।
दुख की घड़ी अधिकतर जीवन में कोई ना कोई अवसर लेकर आती है।
यदि कभी से भी कोई दुख दर्द आपको मिल रहा है उस घड़ी के अहसानमंद रहिए। दुख दर्द, परेशानी का समय जीवन में परिवर्तन लाने का एक अवसर होता है। निर्भर आप पर करता है कि उस परिवर्तन को आप सकारात्मक लेते है या नकारात्मक।
कभी कभी अच्छे परिवर्तन के लिए हमे कोशिश करनी होती है।
एक शिपकर जिस प्रकार पत्थर में से अवांछनीय भाग छांट कर मूर्ति को रूप देता है उसी प्रकार जीवन में दुख दर्द सभी अवांछनीय तत्वों को हटाने में हमारी मदद करते हैं और हमे हमारे सत्य स्वरूप से मिलवाते है।
जीवन में कभी कभी ऐसे शन भी आते है जब हमें लगता है कि हम बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। इस अनुभव के लिए हमे प्रसन्न होना चाहिए क्योंकि ये वो क्षण होते है जब हमें अपनी शक्तियों को जानने समझने का मौका मिलता है।
हम अकेलेपन से घबराते है। कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता है। अकेला होना जीवन में बहुत सी उच्च संभावनाओं का स्त्रोत होता है।
यदि जीवन में सिर्फ समय को व्यतीत करना है तो दो तीन चार आठ की जरूरत होती है।
हमे अकेलेपन को एकांत में परिवर्तित करने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है।
यह दुनिया बहुत विचित्र है। यह हमे हर समय व्यस्त रखती है। और हमे हमी से दूर करती है।
आना और जाना जीवन की प्रक्रिया है। हर क्षण कितने ही विचार पैदा होते हैं और चले जाते हैं। विचारों का आना जाना जीवन प्रक्रिया का हिस्सा है।क्या समुद्र में कोई लहर कभी रुकती है? लहरों का आना जाना , उठना गिरना प्रक्रिया है। विचार भी आते जाते हैं। उठते गिरते है। प्रतिक्रिया और अनुक्रिया आती जाती रहती है।
कुछ भी चीज ठहरी हुई नहीं है। हमे लगता है हम रुके हुए है परन्तु ऐसा नहीं है हर शन परिवर्तनशील है। हर शन उतार चढ़ाव वाला है।
हम किसी एक चीज को पकड़कर बैठने की कोशिश क्यों करते है?
हम किसी भी चीज के प्रति गंभीर क्यों ही जाते है?
शायद बहुत नकारात्मकता होती है इसलिए हम बहुत गंभीर हो जाते हैं।
यदि कुछ ऐसा होता भी है जो हमारे जीवन में समृद्धि लाए (शुरुआत होती है तो हम उस समृद्धि की (अवसर को पकड़ना) शुरुआत को पकड़ने के बजाय बहुत सारे प्रश्न उसके आगे लगा देते है जिनका उत्तर ना में होता है। और उस अवसर को हाथ से जाने देते हैं। क्योंकि हम कोई भी चीज पूर्णता के साथ चाहते है। हमे चाहिए तो पूरा फायदा चाहिए नहीं तो जो चल रहा है ठीक है।
यदि देखा जाए तो बूंद बूंद से घड़ा भरता है। ईंट ईंट से मकान बनता है। एक एक सीढ़ी चढ़ कर है मंजिल पर पहुंचा जा सकता है। बूंद बूंद जुड़कर ही बादल बनता है, सागर भिवतो बूंद बूंद से बनता है।
एक साथ पूर्ण लाभ की चाहत में हम हीरे को छोड़ पत्थर पसंद करके बैठे रहते हैं। फिर किस्मत या भगवान् को कोसते है।
दुख की घड़ी अधिकतर जीवन में कोई ना कोई अवसर लेकर आती है।
यदि कभी से भी कोई दुख दर्द आपको मिल रहा है उस घड़ी के अहसानमंद रहिए। दुख दर्द, परेशानी का समय जीवन में परिवर्तन लाने का एक अवसर होता है। निर्भर आप पर करता है कि उस परिवर्तन को आप सकारात्मक लेते है या नकारात्मक।
कभी कभी अच्छे परिवर्तन के लिए हमे कोशिश करनी होती है।
एक शिपकर जिस प्रकार पत्थर में से अवांछनीय भाग छांट कर मूर्ति को रूप देता है उसी प्रकार जीवन में दुख दर्द सभी अवांछनीय तत्वों को हटाने में हमारी मदद करते हैं और हमे हमारे सत्य स्वरूप से मिलवाते है।
जीवन में कभी कभी ऐसे शन भी आते है जब हमें लगता है कि हम बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। इस अनुभव के लिए हमे प्रसन्न होना चाहिए क्योंकि ये वो क्षण होते है जब हमें अपनी शक्तियों को जानने समझने का मौका मिलता है।
हम अकेलेपन से घबराते है। कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता है। अकेला होना जीवन में बहुत सी उच्च संभावनाओं का स्त्रोत होता है।
यदि जीवन में सिर्फ समय को व्यतीत करना है तो दो तीन चार आठ की जरूरत होती है।
हमे अकेलेपन को एकांत में परिवर्तित करने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है।
यह दुनिया बहुत विचित्र है। यह हमे हर समय व्यस्त रखती है। और हमे हमी से दूर करती है।
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