Thursday, April 9, 2020


बहुत से लोग शून्य उमंग के साथ जीते है। ना जाने क्यों समझ नहीं आता। लोग समझ ही नहीं पाते उमंग हीन जीवन कार्य की क्षमता व गुणवत्ता को कम करता है. 
किसी की भी क्षमताओं को चुनौती नहीं दी जा सकती है। सभी की योग्यता/क्षमता समान नहीं होती है। ऐसा नहीं है कि जो में कर सकता ही वह कोई दूसरा नहीं कर सकता है। निर्भर करता है अपने अपनी कार्य क्षमता की पार्टी को कितना खोला है व कितनी शीघ्रता से खोला है। परतो को थोड़ा बहुत तो सभी खोलते है व वापिस समेटकर भी रख लेते है। जितनी उत्साह उमंग से पर्तो को खोला जाएगा उतनी ही क्षमता बढ़ेगी, गुणवत्ता बढ़ेगी। जिस प्रकार प्याज का एक छिलका उतारने के लिए आपको चाकू से चीरा लगाने की आवश्यकता होती है आगे की परते सहज रूप से खुलती चली जाती है उसी प्रकार उमंग से श्रुरुआत करने पर क्षमताओं की परते सहज रूप से खुलती चली जाएंगी। 
कितने सारे अवसर हम सिर्फ उमंग की कमी के कारण अपने हाथ से निकल जाने देते हैं। छोटी छोटी उपलब्धियां मिलकर एक दिन बड़ी बनती है। हर बड़ी चीज छोटे छोटे कणों से मिलकर ही बनती है। हर छोटी उपलब्धि की अपनी अहमियत होती है। जिस प्रकार हमारा शरीर एक कोशिका से बढ़कर अरबों कोशिकाओं का केंद्र हो जाता है। परन्तु हर कोशिका की अपनी अहमियत होती है।
 उत्साह की कमी क्यों?
अहम के कारण मै क्यों करूं। मै ही बचा ही क्या सबका काम करने के लिए। 
जलन की भावना -
बैठे बैठे मौज करते है। चालीस हजार तनखा ले जाते है। सरकार के चुना लगा रहे हैं। लोग स्वयं क्या कर रहे है, सोचते ही नहीं। आप क्या कर रहे है?आपके पास इतनी फुर्सत है कि आप ये सब सोच सके। चुना को लगा रहा है? कभी आप तो शामिल नहीं हो गए। अपने आप की ओर देखिए। 

उमंग जगाने का पहला नियम स्वयं से प्रेम करना। स्वयं के सम्मान की पूंजी को बढ़ाना अपने पर विश्वास करना। दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें। अपने प्रति अपने कर्तव्य को समझे।

हमारे प्रति हमारा कर्तव्य क्या? 

हम अपनी क्षमताओं को पहचाने व उनका पूरा पूरा उपयोग करे। यही हमारा हमारे प्रति कर्तव्य है। हम करने क्या आए है इस दुनिया में। हमे और करना ही क्या है इस दुनिया में। अपनी शक्तियों, क्षमताओं को पहचानना व उनका उपयोग करना। चाहे शोध करे या प्रयोग करके देखे। जैसे जैसे आपको अपनी क्षमताओं का अनुभव होगा आप अचरज करेंगे, आप हैरान होंगे, आप भोंचक रह जाएंगे। आप जान जाएंगे सभी कुछ संभव है आपके द्वारा। 

ईश्वर ने तो सभी कुछ बनाकर छोड़ दिया है। आपको भी बनाया है, मुझे भी बनाया है। अपूर्ण से पूर्ण की और हमारे लिए सिर्फ उसने एक ही काम छोड़ा  है कि सिर्फ हम अपने आप को जाने, अपनी क्षमताओं को पहचाने, उनका उपयोग करें। 

आप जब अपने आप को जानने लगेंगे तो आप पूर्णता की ओर बढ़ेंगे। आप सकारात्मकता की ओर बढ़ेंगे। जब तक आप दूसरों की ओर देखते रहेंगे आप प्रकृति के विरूद्ध चलेंगे और नकारात्मकता पैदा करेंगे। जीवन सकारात्मकता व नकारात्मकता पर ही निर्धारित है।

अपने प्रति ईमानदार रहें। अपनी कमजोरियों और क्षमताओं को एक बार जान लेने के पश्चात उन्हें स्वीकार करना जरूरी है। जैसे जैसे हमे आत्मसाक्षात्कार होता है हम सभी कुछ जैसा है वैसा स्वीकार करने लगते है। हम दूसरो के प्रति अपना निर्णयात्मक रवैया समाप्त कर देते है। कुल मिलाकर अहम पर हावी हो जाइए। अहम को विवेक पर हावी ना होने दें।

उमंग से जीये





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