दुनिया को खूबसूरत या बदसूरत हमारी सोच बनती है। जब हम स्वधर्म को पहचानने लगत है तो आरोप प्रत्यारोप समाप्त हो जाते है। ना तो आप दुनिया को दोषी ठहराएंगे ना किस्मत को। जो कुछ जीवन में घटित होता जा रहा है उसे स्वीकार करने की क्षमता का आप में विकास होगा।सहज रूप में सभी स्वीकार्य होगा। जब सहजता जीवन में आने लगेगी तो नकारात्मकता का स्थान सकारात्मकता ले लेगी। धीरे धीरे आप सकारात्मक सोच वाले हो जाएंगे और सफलता , खुशियों के द्वार एक के बाद एक आपके जीवन में खुलते जाएंगे।
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