उत्साहवर्धन
उत्साह जीवन का रस
उत्साह जीवन का आनन्द
उत्साह सफलता की कुंजी
उत्साह जीवन की पूंजी।
उत्साहहीन जीवन, जैसे अपने ही शव को कंधा दे रहे हों।
अपने आप को जाने व मुक्त रहें।
उत्साहवर्धन यदि दूसरे नहीं करते तो स्वयं का स्वयं करें।
क्यों उत्साहित रहें?
क्योंकि जिंदा हैं। क्योंकि हर क्षण उत्सव है।क्योंकि वो आत्मा से छलकता है। छलकने दीजिए।
उमंग को संचारित होने दें। अपने चाल ढाल, बोल चाल में उत्साह छलकने दे। आपको देखकर दूसरे लोग भी हल्का महसूस करे। जरा सा मुस्कुरा कर देखिए।आपकी एक मुस्कुराहट आपके स्वयं व आपके साथियों के उत्साहवर्धन के लिए काफी है।
उत्साहित रहें, आनंदित रहें।
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