प्रणाम,
आज का प्रसंग,
वर्तमान परिस्थिति में आपका जो कर्तव्य है वही आपका धर्म है।
बच्चे के जन्म के समय जन्म पत्री बनवाई जाती है। पंडित को बच्चे के जन्म का समय, स्थान, दिन, तारीख, माता पिता के नाम, बच्चे का लिंग आदि बताया जाता है।
इस जानकारी में क्या, कब, कहां, कौन इन तथ्यों की जानकारी दी जाती है बाकी का खाका पंडित जी अपने ज्योतिष विज्ञान के आधार पर बनाते हैं जिसमे, काल गणना, ग्रह नक्षत्र के आधार पर क्यो और कैसे का पूरा गणितीय कोड होता है। जिसको हम जन्म पत्री नाम देते हैं।
ज्योतिष एक पूर्ण विज्ञान है। गणित के समान सटीक उत्तर उससे मिलते हैं।
बेसिक प्रश्न क्या, कौन, कहां,कब का जवाब किसी भी फार्म को भरने के लिए आवश्यक होते हैं, चाहे वह विद्यालय में प्रवेश का फार्म हो या पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, जन आधार या आधार कार्ड। संसार में विचरण करने के लिए व्यक्ति की बेसिक जानकारी के आधार पर लाइसेंस मिल जाता है। कहीं भी प्रवेश करने से पहले ये सब जानकारी देनी ही होती है। हां होटल में आओ ठहरते हैं तो आपको यह भी बताना होता हैं कि आप कहां से आ रहे हैं और कहां जा रहे हैं।
आपके बारे में क्यों और कैसे जानने की संसार आवश्यकता ही नहीं समझता है।
क्यों न आज क्यों व कैसे पर ही बात की जाए।
आपकी जन्म पत्री में क्यों व कैसे का लेखा जोखा होता है।कौन उसको जानने का प्रयास करता है? काल गणना हर कोई तो नही कर सकता। बच्चा तो बच्चा है उसे तो जानने की जरूरत ही नही, उसका जीवन तो माता पिता के संरक्षण में चल ही रहा होता है। माता पिता को विचार करना चाहिए कि यह बच्चा क्यों व कैसे हमारे जीवन में आया है? कहां से आया है और हमारे जीवन में इसकी क्या महत्ता है, इसके जीवन में हमारी क्या महत्ता है?
इस सबके मार्गदर्शन के लिए ज्योतिष विज्ञान की सहायता ली जा सकती है। मुझे लगता है कि सभी को ज्योतिष की जानकारी अवश्य होनी चाहिए, जिससे हम जाने कि हम कैसे कदम उठाएं कि हमारा जीवन सार्थक हो , हम स्वधर्म निभाते हुए परमधर्म की ओर अग्रसर हों। कोई भी परिस्थिति (अच्छी बुरी) आपके जीवन में घटित हो रही है वह एक खगोलीय घटना का सूक्ष्म अंश मात्र है। जीवन में घटनाएं चलती रहती है, एक ओर से बढ़ती है दूसरी ओर से घटती हैं।
जीवन चक्र में जो भी लोग आपके आस पास आ रहे है वो सभी ग्रह नक्षत्रों के समान ही है। कोई सूर्य बन आता है तो कोई चंद्र, मंगल बुध, बृहस्पति, शुक्र , शनि, राहू केतू।
माता पिता यदि शिक्षित हैं तो संसार में सीखे सिखाएं आधार पर स्वार्थ सिद्धि ना करके यदि वैज्ञानिक आधार पर परिस्थितियों का आंकलन कर समझे तो जीवन सार्थक हो।
विचार आगे बढ़ाती हूं....
यदि प्रत्येक शिक्षक शिक्षिका को कुछ ज्योतिष विज्ञान की जानकारी हो तो स्वयं की व विद्यार्थियों की ग्रह दशा का विश्लेषण कर बहुत हद तक सही शिक्षण कर सकते हैं। बी एड में मैकाले पढ़ाने के बजाय ज्योतिष पढ़ाए तो अच्छा होगा। बहुत कुछ अच्छी संभावनाएं बनती हैं यदि शिक्षा में ज्योतिष विज्ञान का उपयोग किया जाए, विज्ञान और गणित के बहुत से विषय ज्योतिष में समाए हुए है।
मेरे विचार पढ़कर ज्योतिष के पास ना जाए, बहुत खर्चा करवा देंगे।
स्वयं, स्वयं के ज्योतिष बनिए। ग्रह नक्षत्रों के स्वभाव व चाल को जानिए, मनोविज्ञान को भी उससे जोड़िए, अपने जीवन में आस पास के लोगों के व्यवहार को समझिए वैसे ही चाल चलिए, सभी छोटे मोटे ग्रह नक्षत्र है।
जीवन मे बहुत से लोग आपको ऐसे मिलेंगे जो आपके साथ चलते चलते धीरे धीरे वक्री हो जाते हैं, आप हतप्रभ हो जाते हैं। हतप्रभ मत होइए, वक्रता एक भ्रम है। वो फिर से आपसे ताल मेल बिठाने के लिए सीधी चाल चलना शुरू कर देंगे।
जीवन है तो श्रम है। कुछ अध्ययन करें, स्वयं पर शोध करें। मैं कौन? क्यों, कैसे, यहां, इनके साथ आदि आदि। अपना सत्य जाने।
श्रमेव जयते!!!!
सत्यमेव जयते!!!!
प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
Look beyond imperfections
Be 'PRASANG' Be Joyous
रेणु वशिष्ठ
मेरी काया मेरी वेधशाला से
पूर्णिमा तिथि, सोमवार 19.8.24
मैं ज्योतिषी नही हूं। ये विचार अभी डाउन लोड हुए हैं। विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अंतर्गत प्रेषित हैं। किसी भी प्रकार के तर्क वितर्क कुतर्क के लिए बाध्य नहीं हूं। पसंद आएं तो चिंतन मनन करें अन्यथा शांत रहें।
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