शक्ति के हैं रूप अनेक
स्थिति पर निर्भर है प्रत्येक.
कहीं सुई की नोक है शक्ति
कहीं तलवार की धार है शक्ति
कभी बोल बन जाए शक्ति
तो कभी अबोल है शक्ति.
आशांति का आवेग है शक्ति
तो शांति का वेग है शक्ति.
हर समय चाहिए शक्ति
तो असमय भी चाहिए शक्ति.
जागना भी है शक्ति
तो सोना भी है शक्ति.
हर काल की चाल है शक्ति
तो अकाल की ढाल है शक्ति.
श्रद्धा मे भी है शक्ति
तो अश्रधा मे भी है शक्ति.
धैर्य का आधार है शक्ति
तो अधैर्य का आधार है शक्ति.
विज्ञान की खोज है शक्ति
तो अविज्ञान की सोच है शक्ति.
हर कण हर क्षण मे है शक्ति,
ये ब्रहमस्वरूपिणी शक्ति.
है तुझको नमन हे शक्ति
करदे चहुँ ओर amant हे शक्ति.
जय शक्ति, जय जय शक्ति.
रेणु वशिष्ठ
मेरी डायरी से
04.10.2005
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