सशक्त विचार, घटनाएं कभी सम्पत नहीं होती वर्ण अचेतन/अविज्ञातब्रह्मंडिय पार्टी में समाई रहती है। सहधर्मी विचार आपस में मिलते, अनुकूल का चुनाव करते तथा घनीभूत होते रहते है।
जिन विचारो की आवृति जितनी अधिक होती है, वे उतने ही समर्थ व सक्षम बनते जाते है। रटते रटते विचार मंत्र का रूप ले लेते है। उनकी तरंगे अकाशिक रेकॉर्ड्स में उपस्थित रहती है और समय समय पर अपनी प्रेरणाएं संप्रेषित करती रहती है।वे तरंगे कई प्रकार की होती है और सूक्ष्म वातावरण में प्रवाहित होती रहती है। उनका सामर्थ्य कभी भी क्षय नहीं होता।
विचार तरंगों को अभ्यास द्वारा सघन व केंद्रित किया जा सकता है। केंद्रित की गई तरंगे विलक्षणता का परिचय देती है। धारणा, ध्यान, साधना, उपासना आदि के द्वारा इन्हें विकसित किया जा सकता है।
मनुष्य अपनी विचार संपदा को सशक्त बनाकर अपने समीपवर्ती वातावरण को अनुकूल बनाने में समर्थ हो सकता है।
ग्रह, नक्षत्र एवम् अदृश्य शक्तियों के कुप्रभाव को रोकने के लिए व्यक्तिगत भौतिक प्रयास में सामूहिक आध्यात्मिक पुरुषार्थ एवम् लोक मंगल की विचार,। भावनाएं अधिक सफल एवम् समर्थ होती है।
उत्तम विचार, उत्तम कर्म, उत्तम व्यवहार।
आज, कल और हमेशा।
जिन विचारो की आवृति जितनी अधिक होती है, वे उतने ही समर्थ व सक्षम बनते जाते है। रटते रटते विचार मंत्र का रूप ले लेते है। उनकी तरंगे अकाशिक रेकॉर्ड्स में उपस्थित रहती है और समय समय पर अपनी प्रेरणाएं संप्रेषित करती रहती है।वे तरंगे कई प्रकार की होती है और सूक्ष्म वातावरण में प्रवाहित होती रहती है। उनका सामर्थ्य कभी भी क्षय नहीं होता।
विचार तरंगों को अभ्यास द्वारा सघन व केंद्रित किया जा सकता है। केंद्रित की गई तरंगे विलक्षणता का परिचय देती है। धारणा, ध्यान, साधना, उपासना आदि के द्वारा इन्हें विकसित किया जा सकता है।
मनुष्य अपनी विचार संपदा को सशक्त बनाकर अपने समीपवर्ती वातावरण को अनुकूल बनाने में समर्थ हो सकता है।
ग्रह, नक्षत्र एवम् अदृश्य शक्तियों के कुप्रभाव को रोकने के लिए व्यक्तिगत भौतिक प्रयास में सामूहिक आध्यात्मिक पुरुषार्थ एवम् लोक मंगल की विचार,। भावनाएं अधिक सफल एवम् समर्थ होती है।
उत्तम विचार, उत्तम कर्म, उत्तम व्यवहार।
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