Tuesday, March 25, 2025

 




जीवन में आपा धापी होने का कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली का होना है।

शिक्षा जीविकोपार्जन के लिए हो या जीवन उन्मुक्त /आनंदित करने के लिए?

आधुनिक शिक्षा में जीविकोपार्जन ही उद्देश्य समझ आता है। अभिभावकों को अपनी आय से ज्यादा बच्चों की भविष्य में आय कितनी होगी, उन्हें लगता है धन के बिना जीवन संभव नहीं है।

क्या भौतिक वस्तुओं का संग्रह करने के लिए ही जीविकोपार्जन करना है?

जैसी मांग समय की या लोगों की रही वैसी ही सप्लाई शिक्षा भी करने लगी। बच्चों के minds trained करने लगी, धन कमाने की मशीन बनाने का कार्य कर रही है अधिकतर शिक्षण संस्थाएं जिसमें शिक्षण संस्थाओं का उद्देश्य भी धन कमाना है।  चंचल लक्ष्मी के पीछे भागने की आपाधापी है। जो स्थिर होने पर ही मिलेगी ये भी सत्य है। आपाधापी से प्राप्त तो हो जाएगी परंतु घर घर नहीं एक मकान या कहे एक संग्रहालय बन जाएगा ब्रांडेड वस्तुओं का जिनको खरीदकर लाने की संतुष्टि मिलेगी परंतु भोगने का समय नहीं मिलेगा।

शिक्षा स्थापित मानदंडों के आधार पर चल रही है । विद्या का उद्देश्य भटक गया तो वो शिक्षा बन गई।

विद्या का उद्देश्य क्या?

सा विद्या वा विमुक्तये। Education is that which liberates .

विद्या ददाति विनयम' का मतलब है, 'ज्ञान व्यक्ति को विनम्र बनाता है'. यह एक उपनिषद का वाक्य है. इसका पूरा श्लोक है:

विद्या ददाति विनयम, विनयाद याति पात्रताम्

पात्रत्वात् धनम् आप्नोति धनाद धर्मं ततः सुखम् 

इसका मतलब है कि: विद्या से विनय मिलता है, विनय से पात्रता मिलती है, पात्रता से धन और समृद्धि मिलती है, समृद्धि से सही आचरण मिलता है, सही आचरण से संतोष मिलता है. 

शिक्षा से जीवन में मार्गदर्शन मिलता है और मुक्ति मिलती है. शिक्षा से लोग सामर्थ्यवान बनते हैं और समाज का भौतिक विकास होता है. व्यक्ति, बालक, मनुष्य भौतिकता से बहुत अधिक है।

शिक्षा का उद्देश्य हो, विद्यावान गुणी अति चातुर,राम काज करने को आतुर।

बच्चों को साक्षर या शिक्षित करने की नहीं विद्या वान करने की आवश्यकता है।

अभिभावकों को चाहिए अपने बच्चों को विद्यावान कर एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व निखारने की मांग करें शिक्षण संस्थाओं से , जैसी मांग होगी सप्लाई वैसी ही होने लगेगी।

सत्य से प्रेम, प्रेम से कर्म करें।

सत्यमेव जयते 

श्रमेव जयते 

Look beyond imperfections 

Be 'PRASANG' Be Joyous 

#imbibevalues #buildcharacter #buildnation #nochildleftout #nochildleftbehind


जीवन में आपा धापी होने का कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली का होना है।
शिक्षा जीविकोपार्जन के लिए हो या जीवन उन्मुक्त /आनंदित करने के लिए?
आधुनिक शिक्षा में जीविकोपार्जन ही उद्देश्य समझ आता है। अभिभावकों को अपनी आय से ज्यादा बच्चों की भविष्य में आय कितनी होगी, उन्हें लगता है धन के बिना जीवन संभव नहीं है।
क्या भौतिक वस्तुओं का संग्रह करने के लिए ही जीविकोपार्जन करना है?
जैसी मांग समय की या लोगों की रही वैसी ही सप्लाई शिक्षा भी करने लगी। बच्चों के minds trained करने लगी, धन कमाने की मशीन बनाने का कार्य कर रही है अधिकतर शिक्षण संस्थाएं जिसमें शिक्षण संस्थाओं का उद्देश्य भी धन कमाना है। चंचल लक्ष्मी के पीछे भागने की आपाधापी है। जो स्थिर होने पर ही मिलेगी ये भी सत्य है। आपाधापी से प्राप्त तो हो जाएगी परंतु घर घर नहीं एक मकान या कहे एक संग्रहालय बन जाएगा ब्रांडेड वस्तुओं का जिनको खरीदकर लाने की संतुष्टि मिलेगी परंतु भोगने का समय नहीं मिलेगा।
शिक्षा स्थापित मानदंडों के आधार पर चल रही है । विद्या का उद्देश्य भटक गया तो वो शिक्षा बन गई।
विद्या का उद्देश्य क्या?
सा विद्या वा विमुक्तये। Education is that which liberates .
विद्या ददाति विनयम' का मतलब है, 'ज्ञान व्यक्ति को विनम्र बनाता है'. यह एक उपनिषद का वाक्य है. इसका पूरा श्लोक है:
विद्या ददाति विनयम, विनयाद याति पात्रताम्
पात्रत्वात् धनम् आप्नोति धनाद धर्मं ततः सुखम्
इसका मतलब है कि: विद्या से विनय मिलता है, विनय से पात्रता मिलती है, पात्रता से धन और समृद्धि मिलती है, समृद्धि से सही आचरण मिलता है, सही आचरण से संतोष मिलता है.
शिक्षा से जीवन में मार्गदर्शन मिलता है और मुक्ति मिलती है. शिक्षा से लोग सामर्थ्यवान बनते हैं और समाज का भौतिक विकास होता है. व्यक्ति, बालक, मनुष्य भौतिकता से बहुत अधिक है।
शिक्षा का उद्देश्य हो, विद्यावान गुणी अति चातुर,राम काज करने को आतुर।
बच्चों को साक्षर या शिक्षित करने की नहीं विद्या वान करने की आवश्यकता है।
अभिभावकों को चाहिए अपने बच्चों को विद्यावान कर एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व निखारने की मांग करें शिक्षण संस्थाओं से , जैसी मांग होगी सप्लाई वैसी ही होने लगेगी।
सत्य से प्रेम, प्रेम से कर्म करें।
सत्यमेव जयते
श्रमेव जयते
Look beyond imperfections
Be 'PRASANG' Be Joyous

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