सभी को प्रणाम,
हमने बचपन में एक प्रार्थना सीखी थी, शायद वर्ष 1970में,
वह शक्ति हमे दो दयानिधे कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं, जो हैं अपने भूले भटके उनको तारे खुद तर जाएं............
वही प्रार्थना शायद अब फली भूत हो रही है।
आजकल कहा जाता है it's my life, it's my journey, मेरा जीवन, मेरी यात्रा है, मैं अपना ही उद्धार करूं, उदाहरण दिया जाता है हवाई जहाज में यात्रा करते समय ऑक्सिजन लेवल कम हो जाए तो ऑक्सिजन मास्क पहले खुद पहने फिर दूसरे की मदद करें। ये स्थूल स्तर पर ये एकदम सही है। परंतु सूक्ष्म स्तर पर इसके विपरीत लगता है मुझे तो, यदि हम अपने, भूले भटके लोगों को सत्य, प्रेम, कर्म, के मार्ग लाने को कर्त्तव्य मान ले और उस मार्ग पर डट जाएं तो खुद भी तर जायेंगे और अन्य भी तर जायेंगे। इस सूक्ष्म स्तर पर किसी मास्क की आवश्यकता नहीं होती।
उपरोक्त प्रार्थना मेरे साथ अनेकों छात्राओं , लगभग हजार छात्राओं ने स्कूल की प्रार्थना सभा में सीखी होगी, सुनी होगी।
तो क्या वो हजारों छात्राएं सत्य के मार्ग पर चल रही होंगी?
यदि हां, तो श्रमेव जयते, सत्यमेव जयते हो ही गया होता।
सत्य, प्रेम, कर्म , प्रकाश पर चलने के लिए प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा कब की अपनी मंजिल तक पहुंच गई होती। चहुं ओर सत्य का परचम फहरा रहा होता।
क्या कारण है कि शिक्षा के द्वारा उत्तम विचारों के बीज सभी पर बिखराए जाते हैं परंतु फलीभूत सभी में नहीं होते।
ऐसा क्यों?
मानव शरीर के स्थूल और सूक्ष्म स्तरों को समझकर इसको सहज ही समझा जा सकता है।
स्थूल शरीर भी तीन degrees पर होता है, स्थूल, स्थूलतर, स्थूलतम, इसी प्रकार सूक्ष्म शरीर भी तीन स्तर पर, सूक्ष्म , सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम।
तो शिक्षा के जो बीज हैं किसी के तो स्थूलतम स्तर पर ही रह जाते है, किसी कारणवश उनकी अज्ञानता या अंधकार की परत इतनी गाढ़ी है कि कुछ भी उनके अंदर जा नही पाता , या कहें एक तरह से ऊसर, अनुपजाऊ भूमि की तरह। स्थूल्तम स्तर पर अटके लोग ना तो खुद तरते है ना ही दूसरों को तारते हैं। मेरे लिए वे दया के पात्र होते हैं। क्योंकि अज्ञानी है। शरीर के स्थूलतम स्तर पर जो अटके हैं वे कितने भी समझदार स्वयं को समझे परंतु अज्ञानता की पराकाष्ठा पर होते हैं।
स्थूलतम के विपरीत सूक्ष्मतम् स्तर तक जब विद्या के बीज पहुंचते है तो जीवन में सत्य से प्रेम और प्रेम से कर्म की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
मेरी बात आपको यदि बिल्कुल समझ नही आ रही तो जाने कि आप स्थूलतम स्तर पर हैं।
यदि कुछ समझ आई तो स्थूलतर स्तर पर हैं।
यदि थोड़ी और समझ आई तो आप स्थूल स्तर पर हैं।
प्रयास कर
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