बीज पहले बोया था फल अब काट रहे हैं. यदि वह फल नही चाहिए तो जड़ को काटना होगा. भगवान हमेशा सहायता करना चाहता है यदि सहायता नहीं आ रही है तो स्वयं को देखो. उसकी कृपा मे मिलावट नही होती. आपकी मांग मे सच्चाई होनी चाहिए. इमानदारी जरूरी है. इमानदारी समर्पण से आती है. शुद्धता के मार्ग पर चलो उपलब्धि अवश्य मिलेगी. शुद्धता परमात्मा के प्रति समर्पण से आती है. समर्पण पकड़ नदी के दो किनारे हैं. साधना व सेवा -निष्काम सेवा.
प्रार्थना करें कैसे जो जीवन में बदलाव लेकर आ सके?
मैं तेरी बनाई सृष्टि की सेवा के लिए तत्पर हूं. मानवता को मै प्रेम करता हूँ. सबको माफ करता हूं क्योंकि हृदय खुला रखना चाहिए, बंद होता है तो मुश्किल हो जाती है. हम शिकायत नही करते हम सृजन करते हैं. शुद्ध भावना व मन निर्मल होना चाहिए. मानव कल्याण के लिए प्रार्थना रत हों.
दाता भाव आने से ईश्वर आपके साथ जुड़ जायेगा, आपके साथ प्रकृति जुड़ जायेगी.
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