Wednesday, April 23, 2025

यदि हम ऊर्जा के संदर्भ में समझे तो जीवन की ऊर्ध्व और अधोगति को समझ सकते है और अपने जीवन की गति निर्धारित कर बेहतर जीवन जी सकते हैं।

 

प्रणाम,

आज का प्रसंग,

यदि हम ऊर्जा के संदर्भ में समझे तो जीवन की ऊर्ध्व और अधोगति को समझ सकते है और अपने जीवन की गति निर्धारित कर बेहतर जीवन जी सकते हैं।

जिस प्रकार मछली पानी में रहती है उसी प्रकार हम भी ऊर्जाओं के सागर में रहते हैं। हम वही ऊर्जा हैं।अंदर बाहर ऊर्जा ही ऊर्जा। एकदम जल चक्र की तरह ऊर्जा चक्र चलता है। जल का वाष्पीकरण हो बादल और फिर से जल। पानी जम जाए तो बर्फ बन जाता है, बर्फ पिघल जाए तो जल, जल और जल जाए तो वाटर vapour हो गैस बन अदृश्य हो जाए।

ठीक उसी प्रकार जीवन चक्र ऊर्जा चक्र ही है। ऊर्जा सघन हो जाए तो आकार ले लेती है और विघटित हो जाए तो निराकार हो जाती है। अणुओं परमाणुओं का नृत्य है निराकार से आकर ले लेना और फिर निराकार हो जाना।

केंद्र कहो या धुरी कहो, जब तक अपने केंद्र या धुरी पर केंद्रित रहेंगे तब तक ही आकार है। यदि उस केंद्र ने अपनी धुरी छोड़ दे तो आकार बिखर जाता है। बर्फ भी तो पिघलते ही अपनी जगह छोड़ देती है। शरीर में ऊर्जा की धुरी टूटते ही बर्फ की तरह नहीं पिघलता पार्थिव हो जाता है और उसे ठिकाने लगाना पड़ता है।

प्रसंग पर आते हैं:-

हमारे केंद्र में चित्ति शक्ति ब्रह्मांड की परम ऊर्जा शक्ति से ऊर्जा ले हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका , असंख्य अणुओं को vibrate करती है। जैसे परमाणु बिजली घरों से हमारे घरों में छोटे छोटे लट्टू प्रकाशित होते है।

युगों युगों से चिति शक्ति अधिकतर सभी में सुप्तावस्था में रहती है। जिसकी गहरी नीद में , उसकी वाइब्रेशन कम रहती है और वह निम्न स्तर पर् रहता है, मन से विचारों से। उसकी ऊर्जा उसे अधोगति की ओर ले जाती है। जिसकी चिति शक्ति जागृत होती है उसकी ऊर्ध्व गति होती है, उच्च आवृति बैंड पर रहता है।

सरल शब्दों में कहें तो जिस आवृत्ति बैंड पर आप है उसी प्रकार का जीवन होता है।उसी आवृति बैंड के लोग या वस्तुएं आप आकर्षित करते है। बहुत ही सचेत और सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। 

यदि हमे जीवन में उच्च स्तर की चीजें चाहिए तो आवृति बैंड बदलना होगा।

हर फ्रीक्वेंसी बैंड की अलग अलग विशेषताएं होती हैं। वाई फाई के लिए 2.4 GHz का इस्तेमाल किया जाता है। जयपुर अजमेर की फ्रीक्वेंसी बैंड में आप वाइब्रेट कर रहें हैं तो USA कितना भी आप चाह लें आप नही पहुंच पाएंगे, चाहने से क्या होता है। वाइब्रेशन बढ़ाने से फ्रीक्वेंसी बैंड बदलता है।

यदि जीवन संवारना है तो फ्रीक्वेंसी वाइब्रेशन के विज्ञान को जानना समझना और प्रयोग में लाना होगा, इक्कीसवीं सदी है भई।

बहुत अच्छा अनुभव है अपने इस जीवन काल में, लोग मेरी ऊर्जा को किस प्रकार स्वीकार अस्वीकार करते हैं। वो ही मैं कहीं पर इतना आदर सम्मान, प्रेम मिलता है, कही पर निरादर और घृणा (rejection सुंदर शब्दों में) तो आदर सम्मान से अभिभूत होती हूं , ना निरादर घृणा से हताहत। हां प्रेम मुझे द्रवित कर देता है, कृतज्ञता लाता है हृदय में। ईश्वर के प्रति नतमस्तक हो जाती हूं। हे ईश्वर इतना प्रेम देने वाले के रूप में तू मेरे सामने खड़ा है। निरादर, घृणा का सामना होने पर ईश्वर से प्रार्थना करती हूं हे प्रभु इनको क्षमा करना, ये अपने ही स्वरूप से घृणा कर रहे है। ये तो स्वयं से ही प्रेम नही करते , ये तुझसे प्रेम नही करते, हे प्रभु इनके हृदय को प्रेम सागर से भर दे प्रभु।

उच्च आवृति नीचे की ओर आसानी से बह सकती है परंतु ऊपर उठना निम्न आवृत्ति के लिए बहुत कठिन होता है।

जन्मों जन्म लग जायेंगे।प्रयास अभी से करें, इस जन्म को सार्थक कर लें इसी जीवन में ऊर्ध्व गति की ओर बढ़ जाएं। अधोगति में रहे तो जाने कहां तलातल में जाकर गिरेंगे।फिर पृथ्वी पर जाने किस योनि में वापिस आयेंगे।

अंत में प्रसंग यही कहेगा कि दूसरे लोग आपकी ऊर्जा किस प्रकार ले रहे हैं उसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते। आप अवश्य फिल्टर लगाकर देखें कि उनकी वाइब्रेशन किस स्तर की है। वो किस mode में चल रहे हैं। आप अपने कार्य को अधिक से अधिक प्रेम और निष्ठा से करते रहें। कृतज्ञ रहें सर्वदा निरादर करने वाले के प्रति, उसने आपकी अपनी काया अपनी वेधशाला में निरीक्षण परीक्षण अवलोकन विश्लेषण करने के कारण दिए। युगों युगों से सोई चित्ती शक्ति को जगाने के लिए प्रभु से प्रार्थना करते रहें।सत्य की सत्य आराधना करें।

सत्य से प्रेम, प्रेम से करें कर्म।

सत्यमेव जयते!

श्रमेव जयते!

प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।

Look beyond imperfections 

Be 'PRASANG' Be Joyous 

रेणु वशिष्ठ 

मेरी काया मेरी वेधशाला से 

मंगलवार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी 

27.8.2024

 

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