Tuesday, March 25, 2025

रोशनी अपनी लिए चलती रही,

 





प्रणाम,

आज का प्रसंग,
रोशनी अपनी लिए चलती रही,
जगती जगाती रही,
रही स्थिर अपनी मशाल लिए,
कुछ चल दिए, कुछ जल गए।
कुछ की आंखे चुंधिया गई,
कुछ की गई फैल।
कुछ अचंभे से अचंभा देखते रह गए,
कुछ अपनी रोशनी लिए साथ हो लिए।
ज्योति सभी की प्रज्वलित रहती सदा,
स्व तेज से कुछ प्रकाशित हुए,
कुछ खाक, तो कुछ राख हो गए।
नीति गत नैतिक विज्ञान ही,
प्रकाश बन प्रकाशित करता है,
अनैतिक विज्ञान मानव बम सा जलाकर राख कर जाए।
अपनी ज्योति को खाक ना कर
अपनी ज्योति से राख ना बन।
मध्य स्थान में लौ को जगाए रख,
समय स्थान की महता संग,
पहचान अपने होने को,
कल, आज और कल का ध्यान धर,
सोच जरा, कुछ सोच भला,
बुरा भला ना कहूं सुनूं,
अपनी ज्योति का ध्यान धरूं,
सत में स्थितप्रज्ञ रहूं सदा,
रज में विश्राम करूं यदा-कदा,
योद्धा ऐसा बन जाऊं,
तम पर सदा विजय पाऊं।
सत्य सभी का जागृत जाऊं,
सत्य प्रसंग में विश्वास करें,
करें सत्य से प्रेम, प्रेम से कर्म।
सत्यमेव जयते!!!
श्रमेव जयते!!!
प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
Look beyond imperfections
Be 'PRASANG' Be Joyous
रेणु वशिष्ठ
मेरी काया मेरी वेधशाला से
रविवार 18.8.2024

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