प्रणाम,
आज का प्रसंग,
विश्व में सभी को पर्याप्त मात्रा में कोई चीज मिली है तो वो बुद्धि है क्योंकि आज तक किसी ने कभी शिकायत नहीं की कि मुझे कम मिली है



सभी समझदार हैं, एक दूसरे से ज्यादा। हैं या नहीं ये अलग बात है। मैं ही समझदार, दूसरा तो मूर्ख। इसी धारणा को धारण कर लोग अपनी बुद्धि का परिचय देते रहते हैं।
शिक्षिका रही हूं तो हजारों बच्चों और उनके माता पिता, साथी शिक्षक शिक्षिकाओं के अलावा परिवार जनों, रिश्तेदारों आदि के संपर्क में आ चुकी हूं। मेरी काया मेरी वेधशाला में जो निरीक्षण परीक्षण चलते है ऊर्जाएं संसार से भीतर प्रवेश करती है उन्ही के आधार पर परिणाम भी आते हैं। वैसे भी श्वास है तो संसार है, श्वास के साथ संसार अंदर बाहर होता ही है। किसी वातावरण में खुलकर सांस ले पाते हैं कहीं पर घुटन भी होती है। उस जगह आप रुक भी नही पाते।
आज के प्रसंग पर आते हैं,
लोग चीजों के लिए, हिस्सों के लिए हमेशा शोर मचाते हैं, मुझे कम मिला परंतु बुद्धि के लिए, समझ के लिए कोई कभी नही कहता मुझे कम मिली है। यदि आपकी समझदारी की कमी की वजह से आपको जीवन में वो नही मिला जो आप चाहते है, बिना कुछ किए, तो आप दूसरे पर आरोप लगाने लगते हैं इसकी वजह से मुझे नही मिला, या इसने कुछ किया ही नहीं आदि आदि।
क्या वाकई जो अधिक अपने आपको समझदार , बुद्धिमान समझते हैं वे सही में ऐसे होते हैं।
वेधशाला ये कहती है जो सहज, सरल, निर्मल, निश्चल है वो समझदार है, जो अपमान करने वाले को भी मान दे वो समझदार है, जो साधनों की कमी का आरोप दूसरों पर न लगाए वो समझदार है। समझदारी और बुद्धिमानी दो अलग चीजें है। बहुत से बुद्धिमान भी चतुर चालाक बनकर मूर्ख साबित होते हैं और बहुत से मूर्ख भी सहज, सरल होकर बुद्धिमान साबित होते है।
वैसे जीवन यात्रा को आनंदमय बनाने के लिए बुद्धि की नही समझ की आवश्यकता है, सत्य, प्रेम, कर्म की आवश्यकता है।
सत्य से प्रेम, प्रेम से कर्म करें।
जीवन में प्रकाश ही प्रकाश है।
प्रसंग प्रणाम से प्रणव तक सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
Look beyond imperfections
Be 'PRASANG' Be Joyous
रेणु वशिष्ठ
मेरी काया मेरी वेधशाला से
मंगलवार ,प्रतिपदा कृष्णपक्ष
20.8.24
No comments:
Post a Comment