जैसा कि मै पिछले talks मे बता चुकी हुँ कि इक्किस्वी सदी में सत्य का बोलबाला रहेगा। सत्य का बीज जो कि सभी में है वह स्फुर्त हो गया है। उसे अब nurture करने की आश्यकता है जिससे कि उसके तने में मजबूती आ सके और वह सदी का अंत आते आते पूर्ण रूप से पुष्पित व फल्लवित् हो।
इक्किस्वी सदी के बाइस वर्ष निकल चुके हैं मतलब एक चौथाई निकल चुकी है, जिसमे सत्य का बीज स्फुर्त हो गया है।
आने वाले पचास वर्षों में सत्य को पोषित करने के लिए हमे अपने प्रयासों में वृद्धि करनी होगी।
सत्य के बीज का स्फुरण स्वत नही हुआ है। उसके लिए पिछली पीढ़ियों ने अपना अद्भुत योगदान दिया है। उनमे से एक हैं मीना ओमजी, जिन्होंने प्रणाम अभियान द्वारा सत्य, प्रेम, कर्म और प्रकाश के मार्ग से सत्य को पोषित किया।
इसी प्रसंग को बढ़ाते हुए हमने ' प्रसंग - प्रणाम से प्रणव तक' सत्य की विजय यात्रा आरंभ की है।
इसमे वैसे तो कोई भी व्यक्ति सहयात्री बन सकता है। परंतु हमने कक्षा छ, सात, आठ के विधार्थियो को विशेष रूप से चुना है क्योंकि इस उम्र के बच्चों मे सेल्फ एस्टीम आत्म सम्मान का विकास हो रहा होता है।
आत्म सम्मान का सही व। विकास और रक्षा सत्य से ही हो सकती है।
छ, सात, आठ कक्षा के विधार्थियो की उम्र है जब उनमे self esteem का soft ware प्राकृतिक रूप से हो रहा होता है। देखना यह है कि हम उनके लिए सत्य की, असत्य की या दोनों के बीच की कोई app का प्रावधान रखते हैं जिसे वे इंस्टाल करें।
आजकल हम युवाओं मे विषाद व आत्म हत्या, अब तो हत्याएँ करना भी सुन रहें हैं, जो चिंता का विषय है। उसका कारण सिर्फ उनमे सत्य को सही समय पर पोषित नहीं किया गया।
यही एक है।
हम अपना योगदान दें, आने वाली पीढ़ियों को सही मार्गदर्शन दें जिससे वे अपनी self esteem का पूर्णत: विकास कर आनंदित जीवन जीयें।
प्रसंग- प्रणाम से प्रणव तक इस सत्य की विजय यात्रा में भाग लें।
इसका उध्येश- मानवता की सेवा, सत्य चेतना जागृत कर सत्य की स्थापना करना है।
इससे क्या होगा?
विद्यार्थी स्वधर्म निभाते हुए परम धर्म निभाना सीखेंगे।
प्रत्येक प्राणी में प्राकृतिक रूप से सत्य का बीज पड़ा हुआ है। माया वश वह उस बीज को पोषित नहीं कर पाता है और अपने असली स्वरूप को नहीं पहचान पाता है।
*सा विद्या वा विमुक्तये* विद्या वही है जो विमुक्त करे।
प्रथम चरण में कक्षा छह, सात, आठ के विधार्थियों को सत्यता का पाठ संगीत के माध्यम से सिखाया जायेगा।
संगीत सत्य को जागृत और पोषित करने की अद्भुत कला है। जो स्वयं का स्वयं से मधुर संबंध स्थापित कर परम सत्य का अनुभव करवाती है।
*क्या करना है?*
सत्यमेव जयते गाना सीखना है जैसा लिंक मे दिया गया है।
1.आपके विद्यालय के कक्षा छह से आठ के सभी बच्चों को भाग लेना है।
2. गीत को प्रतिदिन की प्रार्थना सभा मे गायें जिससे अन्य बच्चे भी सीख सके।
3. हमे विश्वास है कि गीत सीखनें के पंद्रह दिन बाद बच्चों के व्यवहार में ही नहीं बौधिक विकास में भी सकरात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
4. सत्यमेव जयते गीत गाते हुए बच्चों का वीडियो हमे ईमेल prasangvashisthatrust@gmail. com
पर दिनाक 28.02.2023 तक करे।
6. मंगलवार दिनाक 21.03.2023 को दिन मे बारह बजेअंतराष्ट्रीय स्तर पर ऑन लाइन सत्य मेव जयते का गीत एकसाथ गया जायेगा।
5. भाग लेने वाले पहले सौ विद्यालयों के विधार्थियों को मीना ओम जी की *सत्य प्रणाम* पुस्तिका व *सत्य बोध* पुस्तक विद्यालय के पुस्तक आलय के लिए प्रसंग की ओर से भेंट दी जायेगी।
6. आपका विद्यालय सत्य की विजय यात्रा मे भाग ले रहा है इसकी पुष्टि अवश्य करें।
आपकी सुविधा के लिए गीत के बोल इस प्रकार हैं-
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते-2
सच का सहारा ही लूंगा मैं-2
चाहे कुछ भी हो अंजाम
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते-2
जब से सच की लौ को जगाया
जग सारा मुझको है लुभाया-2
सच से नाता जोड़ ले प्राणी-2
मिल जायेंगे तुझको राम।
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते-2
सच मुझ मे विश्वास जगाए
डगमग् कदम ना होने पाए-2
राह कठिन चाहे हो जाए मंजिल तक निश्चय पहुचाये।
सच का दामन ना छोडूंगा-2
देना पड़े चाहे जान का दान।
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते-2
(गीत- संगीत रेणु वशिष्ठ,
मेरी काया मेरी वेधशाला से)
प्रसंग - प्रणाम की पुकार सुने
सत्य की विजय यात्रा में भाग लें, प्रणव तक पहुँचे।
सत्य की सहयात्री
रेणु वशिष्ठ
मैनेजिंग ट्रस्टी प्रसंग वशिष्ठ चरिटेबल ट्रस्ट
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