स्वयं को तुच्छ समझने कि अधिकतर लोगों की प्रवृति होती है। यद्यपि वह इतना तुच्छ नहीं होता जितना अपने आपको समझता है। वह भूल जाता है कि वह स्रष्टा की सर्वोत्कृष्ट कृती है।वह असाधारण है। ऐसा अदभुत शरीर सृष्टि में कभी भी किसी जीवड़हरी के हिस्से में नहीं आया।
ऐसा क्यों?
आत्मविशवास की कमी। अपने ऊपर विश्वास न कर पाने के कारण किसी भी कार्य के लिए दूसरों की ओर ताकते है। दूसके पास समय कान्हा? बात तभी बनती है जब मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा होता है।आत्मविश्वास संसार का सबसे बड़ा बल है। एक शक्तिशाली चुंबक है, जिसके आकर्षण से अनुकूलता स्वयं खींचती चली आती है।
ऐसा क्यों?
आत्मविशवास की कमी। अपने ऊपर विश्वास न कर पाने के कारण किसी भी कार्य के लिए दूसरों की ओर ताकते है। दूसके पास समय कान्हा? बात तभी बनती है जब मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा होता है।आत्मविश्वास संसार का सबसे बड़ा बल है। एक शक्तिशाली चुंबक है, जिसके आकर्षण से अनुकूलता स्वयं खींचती चली आती है।
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