हम क्या है, कोई बहुत बड़ा प्रश्न नही है. प्रश्न पढ़ने वालों को हैरानी हो रही होगी कि ये भी कोई पूछने की बात हुई कि हम क्या हैं?
अरे वही हैं जो ईश्वर ने हमे बनाया है और क्या हैं?
आप भी वही है, मै भी वही हुँ और आपके और मेरे आस पास के सभी लोग वही हैं. अरे भाई इंसान हैं और क्या?
ईश्वर ने इंसान ही तो बनाकर भेजा है हमे इस कायनात मे.
ना जाने कितने तरहों के सांचों मे से निकालते ढालते ढालते हमे इस इंसान रूपी नाम के सांचे मे ढले हैं तो इंसान ही तो हैं और क्या?
अरे भाई बिदकिये मत, मेरे कहने का मतलब यह नही था कि आप इंसान नही हैं. आप तो सौ प्रतिशत इंसान ही हैं. तभी तो आप इसे पढ़ पा रहे हैं अन्यथा गाय बकरी होते तो पढ़ थोड़ी पाते. हाँ काग़ज़ को चबाकर हजम अवश्य ही कर जाते.
अरे आप तो झुंझलाने लग गए, जरा ठहरिये, समझिये, धीरज रखिये. मेरे कहने का मतलब सिर्फ ये है कि क्या आप वही इंसान हैं जिसे ईश्वर ने स्वयं सा एक शुद्ध रूप देकर इस धरा पर किसी उद्येश की पूर्ति हेतु भेजा था.
उद्येश व्युध्येश् मै नही जानता परंतु इतना अवश्य जानता हूँ कि मेरे माता पिता मुझे इस दुनिया मे मुझे लेकर आये हैं. माता पिता के पास किसने भेजा?
कौन भेजेगा? मैंने स्वयं इसका चुनाव किया है.....
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